राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड (RSMSSB) द्वारा पटवारी सीधी भर्ती 2025 का नोटिफिकेशन जारी होते ही आरक्षण वर्ग के पदों के बंटवारे को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। अभ्यर्थियों ने SC-ST और OBC के पदों में कटौती करने तथा MBC और EWS के पद बढ़ाने का आरोप लगाया है। यह मामला सोशल मीडिया पर तूल पकड़ चुका है, और युवा बेरोजगार महासंघ सहित कई संगठनों ने इस पर नाराजगी जताई है।
पटवारी भर्ती 2025: भर्ती की मुख्य जानकारी
- कुल पद: नॉन-टीएसपी – 1733, टीएसपी – 287
- ऑनलाइन आवेदन: 22 फरवरी से 23 मार्च 2025 तक
- परीक्षा तिथि: 11 मई 2025
SC-ST व OBC के पदों में कटौती का आरोप
अभ्यर्थियों का कहना है कि आरक्षित वर्गों को उनके निर्धारित आरक्षण प्रतिशत के अनुसार पद नहीं दिए गए, जिससे आरक्षण नीति की अनदेखी की गई है।
| आरक्षण श्रेणी | आरक्षण प्रतिशत | संभावित पद | वास्तव में आवंटित पद | कटौती/वृद्धि |
|---|---|---|---|---|
| SC | 16% | 277 | 229 | -48 |
| ST | 12% | 208 | 175 | -33 |
| OBC | 21% | 364 | 303 | -61 |
| MBC | 5% | 87 | 165 | +78 |
| EWS | 10% | 173 | 405 | +232 |
➡ कुल मिलाकर, SC-ST और OBC को कुल 849 के बजाय 707 पद ही मिले हैं, जबकि MBC और EWS को उनके कोटे से ज्यादा पद आवंटित कर दिए गए हैं।
बोर्ड ने दी सफाई, अभ्यर्थी असंतुष्ट
राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने अपनी सफाई में कहा कि नोटिफिकेशन संबंधित विभाग से प्राप्त अभ्यर्थना के आधार पर जारी किया गया है, और आरक्षण से जुड़ी शिकायतों का निस्तारण विभाग ही करेगा।
बोर्ड अध्यक्ष आलोक राज का बयान:
“हमने जो अधिसूचना जारी की है, वह संबंधित विभाग से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर है। आरक्षण संबंधी किसी भी संदेह का निपटारा विभाग करेगा।”
अभ्यर्थियों का विरोध और मांग
युवा बेरोजगार महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष राधे मीणा का कहना है कि पटवारी भर्ती में आरक्षण के तहत पदों का सही बंटवारा नहीं किया गया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विभाग ने अब तक इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया है।
अभ्यर्थियों की मांग है कि:
- SC-ST और OBC को उनके निर्धारित प्रतिशत के अनुसार पूरा आरक्षण मिले।
- MBC और EWS को दिए गए अतिरिक्त पदों की समीक्षा की जाए।
- सरकार इस संबंध में स्पष्ट स्पष्टीकरण जारी करे।
निष्कर्ष:
पटवारी भर्ती 2025 में आरक्षित पदों के असमान वितरण को लेकर विवाद लगातार बढ़ रहा है। सोशल मीडिया पर यह मुद्दा गरमाया हुआ है, और अभ्यर्थी सरकार व संबंधित विभाग से इस पर सफाई की मांग कर रहे हैं। अब देखना होगा कि क्या सरकार इस पर पुनर्विचार करेगी या यह मामला कानूनी विवाद का रूप लेगा।
