Bhu Aadhaar Card: अगर आपके पास भी जमीन है तो देश की सबसे बड़ी अपडेट के बारे में आपको जानना चाहिए। सरकार के द्वारा अब आपकी जमीन का आधार कार्ड बनाया जायेगा,जिसमे 14 अंक की विशिष्ट पहचान संख्या प्रदान की जाएगी जिसे भू-आधार ULPIN कहा जाता है इस भू आधार के लागू होने पर जमीन पर मालिकाना हक स्पष्ट होगा और जमीन संबंधी विवाद खत्म होंगे।
भू आधार कार्ड क्या है?
दरअसल सरकार के द्वारा बजट भाषण में भूमि-संबंधी सुधारों और गांवों की जमीन के विशेष पहचान के लिए भू-आधार की बात कही जिसमे जमीन का आधार कार्ड बनाया जायेगा, उस कार्ड से जमीन की सभी आने वाली दिक्कत खत्म होगी।
भू आधार कार्ड के लिए जीआईएस मैपिंग होगी
भू आधार ulpin के द्वारा भूमि अभिलेखों को जीआईएस मैपिंग के साथ डिजिटल किया जाएगा। संपत्ति रिकॉर्ड प्रशासन, अपडेशन और टैक्स प्रशासन के लिए एक आईटी आधारित सिस्टम स्थापित किया जाएगा। इससे शहरी स्थानीय निकायों की वित्तीय स्थिति में सुधार करने में भी मदद मिलेगी।
कैसे काम करता है भू-आधार
1. भूखंड को पहले जीपीएस तकनीक का उपयोग करके जियोटैग किया जाता है ताकि इसकी सटीक भौगोलिक स्थिति की पहचान की जा सके।
2. फिर सर्वेक्षणकर्ता भूखंड की सीमाओं का भौतिक सत्यापन और माप करते हैं।
3. भूखंड के लिए भूमि मालिक का नाम, उपयोग श्रेणी, क्षेत्र आदि जैसे विवरण एकत्र किए जाते हैं।
4. सभी एकत्रित विवरण फिर भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन प्रणाली में दर्ज किए जाते हैं।
5. सिस्टम स्वचालित रूप से भूखंड के लिए 14 अंक का भू-आधार संख्या तैयार करता है, जो डिजिटल रिकॉर्ड से जुड़ा होता है।
ULPIN BHOO Aadhar में क्या-क्या जानकारी होती है
आधार कार्ड की तर्ज पर बनने वाले भू-आधार में राज्य कोड, जिला कोड, उप-जिला कोड, गांव कोड, भूखंड की विशिष्ट आईडी संख्या आदि होते हैं। भू-आधार संख्या को डिजिटल और भौतिक भूमि रिकॉर्ड दस्तावेज पर अंकित किया जायेगा।
भू-आधार के फायदे
भूमि-स्तर मानचित्रण और माप के माध्यम से सटीक भूमि अभिलेख सुनिश्चित करता है
भूखंड पहचान में अस्पष्टता दूर होती है, जो अक्सर भूमि विवादों का कारण बनता है
आधार से लिंक करके भूमि अभिलेखों तक ऑनलाइन पहुंच सक्षम होती है
भूखंड से संबंधित संपूर्ण इतिहास और स्वामित्व विवरण को ट्रैक किया जा सकता है
नीति निर्माण के लिए सरकार को सटीक भूमि डाटा मिलता है