Rajasthan Gram Panchayat Map: ग्राम पंचायत का पुनर्गठन शुरू

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 राजस्थान में पंचायतों और पंचायत समितियों के पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। इसमें क्षेत्रीय संतुलन और आबादी के आधार पर मौजूदा पंचायतों और समितियों को नए सिरे से गठित किया जाएगा। इसके साथ ही, नई पंचायतों और पंचायत समितियों का सृजन भी होगा। राज्य के ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग ने इसके लिए जिला कलक्टरों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं।


पंचायतों और पंचायत समितियों के पुनर्गठन की प्रक्रिया

राज्य सरकार ने पंचायतों और पंचायत समितियों के पुनर्गठन के लिए 2011 की जनगणना को आधार बनाया है। इसके तहत न्यूनतम और अधिकतम जनसंख्या के मापदंड तय किए गए हैं।

मुख्य मापदंड:

  1. ग्राम पंचायतें:
    • सामान्य क्षेत्रों में जनसंख्या 3,000 से 5,500 के बीच।
    • अनुसूचित क्षेत्रों में जनसंख्या 2,000 से 4,000 तक।
  2. पंचायत समितियां:
    • 40 या उससे अधिक ग्राम पंचायतें।
    • न्यूनतम 2 लाख की जनसंख्या।
  3. मुख्यालय की दूरी:
    • किसी गांव के निवासियों की मांग के आधार पर पंचायत का स्थानांतरण किया जा सकता है, लेकिन मुख्यालय से दूरी 6 किमी से अधिक नहीं होनी चाहिए।
  4. एकीकृत प्रशासन:
    • नवसृजित पंचायतें एक ही विधानसभा क्षेत्र में होंगी।
    • राजस्व ग्रामों का विभाजन नहीं किया जाएगा।

पुनर्गठन का टाइम फ्रेम

पंचायतों और पंचायत समितियों के पुनर्गठन के लिए सरकार ने एक स्पष्ट समय सीमा तय की है:

  1. 20 जनवरी से 18 फरवरी 2025:
    कलक्टर नई ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों के लिए प्रस्ताव तैयार करेंगे।
  2. 20 फरवरी से 21 मार्च 2025:
    प्रस्तावों को प्रकाशित कर जनता से आपत्तियां मांगी जाएंगी।
  3. 23 मार्च से 01 अप्रैल 2025:
    प्राप्त आपत्तियों का निस्तारण किया जाएगा।
  4. 03 अप्रैल से 15 अप्रैल 2025:
    अंतिम प्रस्ताव तैयार कर पंचायतीराज विभाग को भेजा जाएगा।

नवसृजित पंचायतों और समितियों का गठन

नगरपालिका गठन:

जिन पंचायत समितियों में 40 या अधिक पंचायतें या 2 लाख से अधिक की जनसंख्या है, वे पुनर्गठन के दायरे में आएंगी। नवसृजित पंचायत समितियों में न्यूनतम 25 पंचायतें शामिल होंगी।

उदाहरण:

  • यदि किसी पंचायत समिति में 42 पंचायतें हैं, तो 25 पंचायतें एक समिति में और शेष 17 पंचायतें नजदीकी समिति में जोड़ी जाएंगी।
  • अनुसूचित क्षेत्रों में नवसृजित समितियों के लिए न्यूनतम जनसंख्या 1.5 लाख तक रखी जाएगी।

टोंक जिले का पुनर्गठन उदाहरण

टोंक जिले में वर्ष 2020 में 236 ग्राम पंचायतों में चुनाव हुए थे। इसके बाद कुछ क्षेत्रों को नगरपालिका में बदला गया, जिससे कुल ग्राम पंचायतों की संख्या 232 रह गई। वर्तमान में जिले में पंचायत समितियों की स्थिति:

  • देवली: 39 ग्राम पंचायतें
  • मालपुरा: 36 ग्राम पंचायतें
  • निवाई: 41 ग्राम पंचायतें
  • पीपलू: 24 ग्राम पंचायतें
  • टोडारायसिंह: 31 ग्राम पंचायतें
  • टोंक: 25 ग्राम पंचायतें
  • उनियारा: 36 ग्राम पंचायतें

इस पुनर्गठन के तहत जिले में दो नई पंचायत समितियों और 12 से अधिक नई पंचायतों के गठन की संभावना है।


पुनर्गठन के उद्देश्य और लाभ

  1. प्रशासनिक संतुलन:
    क्षेत्रीय संतुलन सुनिश्चित करते हुए, पंचायत समितियों और ग्राम पंचायतों का पुनर्गठन किया जाएगा।
  2. जनसुविधा में सुधार:
    पंचायत मुख्यालय की दूरी कम होगी, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी योजनाओं का लाभ आसानी से मिलेगा।
  3. सटीक जनसंख्या प्रबंधन:
    मापदंडों के तहत जनसंख्या का पुनः निर्धारण कर अधिक प्रभावी प्रशासन सुनिश्चित किया जाएगा।
  4. विकास की गति तेज होगी:
    पंचायत समितियों और ग्राम पंचायतों का पुनर्गठन ग्रामीण विकास को प्रोत्साहित करेगा।

निष्कर्ष

राजस्थान सरकार का यह कदम पंचायत राज व्यवस्था को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने की दिशा में है। पुनर्गठन से न केवल प्रशासनिक संतुलन बेहतर होगा, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में योजनाओं का क्रियान्वयन भी आसान होगा। सरकार द्वारा तय किए गए मापदंड और टाइम फ्रेम इस प्रक्रिया को सुचारू रूप से संचालित करने में सहायक होंगे।

ग्रामीण विकास की दिशा में यह कदम एक महत्वपूर्ण बदलाव साबित होगा।