पेपर लीक: परीक्षा से 1 घंटे पहले सोशल मीडिया पर वायरल हुआ प्रश्न पत्र, छात्रों से वसूले गए 500 रुपए

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अलवर के राजर्षि भर्तृहरि मत्स्य विश्वविद्यालय में पेपर लीक का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। सोमवार को प्रथम सेमेस्टर की कंप्यूटर परीक्षा का प्रश्न पत्र परीक्षा से एक घंटे पहले यानी सुबह 11 बजे टेलीग्राम और इंस्टाग्राम के ग्रुप्स पर वायरल हो गया

सूत्रों के अनुसार, इन ग्रुप्स में कॉलेज के कई छात्र-छात्राएं जुड़े हुए हैं और कुछ छात्रों से ग्रुप में शामिल होने के लिए 500 रुपए तक वसूले गए। इसके अलावा, जूलॉजी, मैथ्स, भूगोल (सेमेस्टर-3) और हिंदी विषयों के पेपर भी पहले से उपलब्ध होने की खबरें सामने आई हैं।

पारदर्शिता पर सवाल

मत्स्य विश्वविद्यालय परीक्षा को पारदर्शी तरीके से कराने का दावा करता है, लेकिन लगातार हो रहे पेपर लीक से इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं। सोशल मीडिया पर परीक्षा से पहले ही पेपर वायरल होना गंभीर मामला है और विश्वविद्यालय प्रशासन को इस पर ध्यान देने की जरूरत है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

  • ग्रुप में शामिल होने के लिए 500 रुपए तक की फीस ली गई
  • किशनगढ़, बानसूर और डेहलाबास के विद्यार्थी इन ग्रुप्स से जुड़े हुए थे।
  • परीक्षा से 1 घंटे पहले छात्रों को बुलाने की सूचना भी मिली है।
  • पिछले साल भी 3 पेपर लीक होने के कारण दोबारा कराने पड़े थे

राजर्षि भर्तृहरि मत्स्य विश्वविद्यालय की परीक्षा में लगातार गड़बड़ियां

गत वर्ष मत्स्य विश्वविद्यालय की परीक्षाओं में भी कई गलतियां पाई गई थीं। इन गड़बड़ियों के बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन ने सख्त कार्रवाई नहीं की

वर्षगलतियां
2024भूगोल विषय में गलत प्रश्न पत्रों का वितरण
2024कंप्यूटर परीक्षा में हिंदी माध्यम के छात्रों को अंग्रेजी का पेपर बांटा गया
2024100 सवालों की जगह 120 सवालों वाली OMR सीट दी गई

जांच के आदेश, दोषियों पर होगी FIR

इस पूरे मामले को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं। मत्स्य विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार लोकेश मीणा ने कहा:

“इस मामले की पूरी जांच कराई जाएगी और दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होगी। विश्वविद्यालय परीक्षा की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठाएगा।”

निष्कर्ष

पेपर लीक की घटनाएं शिक्षा प्रणाली पर गहरा प्रभाव डाल रही हैं। एक ओर मेहनती छात्र-छात्राएं अपनी परीक्षाओं के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के माध्यम से परीक्षा प्रणाली को नुकसान पहुंचा रहे हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन को इस पर सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं।