राजस्थान के नए जिलों को लेकर बड़ी अपडेट: कैबिनेट बैठक में आज हो सकता है बड़ा फैसला

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राजस्थान में छोटे जिलों के गठन और उनके पुनर्गठन को लेकर सरकार आज बड़ा निर्णय ले सकती है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार ने कांग्रेस के पिछले कार्यकाल में कई नए जिले बनाए थे। लेकिन अब इन जिलों के औचित्य और मानदंडों को लेकर पुनर्विचार किया जा रहा है। आज होने वाली कैबिनेट बैठक में छोटे जिलों को मर्ज करने या उन्हें बरकरार रखने पर फैसला लिया जा सकता है।


छोटे जिलों पर कैबिनेट की चर्चा

बैठक में दूदू, सांचौर, गंगापुर सिटी, शाहपुरा और केकड़ी जैसे छोटे जिलों को बड़े जिलों में मर्ज करने की संभावना है।

  • जयपुर और जोधपुर को दो जिलों में विभाजित करने की योजना पर पुनर्विचार करते हुए एक जिला बनाए रखने का निर्णय लिया जा सकता है।
  • जनगणना रजिस्ट्रार जनरल ने 31 दिसंबर तक जिलों, तहसीलों और गांवों की सीमाएं बदलने की अनुमति दी है। इस समय सीमा का ध्यान रखते हुए, सरकार नए जिलों के गठन और पुराने जिलों के विलय पर निर्णय लेने की तैयारी कर रही है।

गहलोत सरकार की समीक्षा और भाजपा का विरोध

अशोक गहलोत सरकार ने कांग्रेस के पिछले कार्यकाल में बने जिलों की समीक्षा के लिए मंत्रियों की एक समिति का गठन किया था।

  • इस समिति ने अपनी रिपोर्ट लगभग तैयार कर ली है।
  • रिपोर्ट में उन जिलों को खत्म करने की सिफारिश की गई है, जो क्षेत्रफल और जनसंख्या जैसे मानदंडों को पूरा नहीं करते।
  • भाजपा ने इन जिलों के गठन को राजनीतिक कारणों से प्रेरित बताते हुए इसकी आलोचना की थी।

छोटे जिलों के गठन से जुड़े मुद्दे

राजस्थान में छोटे जिलों के गठन और पुनर्गठन के पीछे प्रशासनिक और राजनीतिक दोनों कारण रहे हैं।

फायदे:

  1. प्रशासनिक सुविधा: छोटे जिलों के गठन से स्थानीय लोगों को सरकारी सेवाएं जल्दी और आसानी से मिल सकती हैं।
  2. विकास की गति: नए जिलों से क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा मिलता है।

चुनौतियां:

  1. बढ़ता सरकारी खर्च: नए जिलों के लिए प्रशासनिक ढांचे की जरूरत से खजाने पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है।
  2. संवेदनशीलता: जिलों के मर्ज होने से स्थानीय लोगों में नाराजगी हो सकती है।

1 जनवरी 2025 से लागू होंगे नए नियम

सरकार को जल्द निर्णय लेना होगा क्योंकि 1 जनवरी 2025 से प्रशासनिक सीमाओं और नई इकाइयों के गठन पर रोक लग जाएगी।

  • इससे पहले 1 जुलाई 2024 से ही सीमाएं फ्रीज थीं, लेकिन मुख्यमंत्री गहलोत ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर 31 दिसंबर तक छूट मांगी थी।
  • इस छूट के तहत ही सरकार को जिले, तहसील, उपखंड और गांवों के पुनर्गठन का निर्णय लेना है।

राजस्थान में वर्तमान जिलों की स्थिति

राजस्थान में वर्तमान में 50 जिले हैं। गहलोत सरकार ने बजट में कई नए जिलों की घोषणा की थी। लेकिन इनमें से कुछ छोटे जिलों पर सवाल खड़े हुए।

  • इन जिलों का क्षेत्रफल और जनसंख्या बहुत कम है।
  • सरकार की समिति का मानना है कि कुछ जिलों को बड़े जिलों में मिलाने से प्रशासनिक सुविधाओं में सुधार होगा और खर्च भी कम होगा।

संवेदनशील फैसला: जनता और सरकार के हित का संतुलन

जिलों के पुनर्गठन का फैसला करना सरकार के लिए एक संवेदनशील मुद्दा है।

  • जनता को जहां प्रशासनिक सेवाओं की सहजता चाहिए, वहीं सरकार को वित्तीय स्थिरता बनाए रखनी है।
  • ऐसे में एक संतुलित निर्णय लेना बेहद जरूरी है।

कैबिनेट बैठक के संभावित निर्णय

  1. छोटे जिलों का विलय:
    दूदू, सांचौर, गंगापुर सिटी, शाहपुरा, और केकड़ी जैसे छोटे जिलों को बड़े जिलों में मर्ज किया जा सकता है।
  2. नए जिलों का गठन:
    सीमाएं तय करने के मानदंडों के आधार पर नए जिलों की घोषणा हो सकती है।
  3. राजस्थान बजट 2025 पर चर्चा: इस बैठक बजट को लेकर भी चर्चा हो सकती है।